टॉक्सिक पॉज़िटिविटी क्या है?
Toxic positivity एक ऐसा concept है जिसके बारे में कम लोग जानते है, लेकिन इस concept को आज के वक्त मे समझना हमारे लिए बोहोत ज़रूरी है. इस आर्टिकल में हम टॉक्सिक पॉज़िटिविटी के बारे में बात करेंगे और इसके नुकसान को समझेंगे.
पॉज़िटिविटी एक अच्छी बात है, लेकिन जब हम निगेटिव इमोशंस (negative emotions) को ignore या suppress करने लगते है, तब ये हमारे लिए toxic हो जाती है. लोग अक्सर ये सोचते है की हमेशा खुश रेहना ही सही है, लेकिन ज़िंदगी में हर वक्त खुशी और पॉज़िटिविटी नही होती. हर इंसान अपनी ज़िंदगी में अप्स एंड डाउन्स को फेस करता है, और इसमें कोई बुरी बात भी नहीं है.
कुछ लोग जो दूसरो को दिलासा देते है तब वो सामने वाले इंसान को hope और उन्हे strong Feel कराने के बजाए उन्हें बेमतलब की पॉज़िटिविटी देते है, उन लोगो के पास life के अक्सर Problems का Solution
Positivity ही होती है, ये पूरी तरह से गलत नही है लेकिन, टॉक्सिक पॉज़िटिविटी, नेगेटिव फिलिंग्स को सीधा सीधा रिजेक्ट करना है और इस वजह से हम सच्चाई को इग्नोर करने लगते है
टॉक्सिक पॉज़िटिविटी के नुकसानात :
लेकिन ग्रो करने के लिए ज़रूरी होता हैं सैक्रिफाइस करना अकेले रह कर अपने काम पर फोकस करना और उन चीजों को फेस करना जिनसे हम डरते है, लेकिन टॉक्सिक पॉज़िटिविटी की वजह से जो चीज हमारी ग्रोथ के लिए ज़रूरी है लेकिन painful है हम उसे भी इग्नोर करने लगते हैं उसपर नेगेटिविटी (negativity) का लेबल लगाकर
जो इंसान नेगेटिविटी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता उसे इस वजह से ज़्यादा परेशानी का सामना करता पड़ता है, और उसकी ग्रोथ भी रुक जाती है.
दुनिया सिर्फ पॉजिटिवली काम नहीं करती और ना ही हर चीज़ हमें अच्छा फील करा सकती है, इस दुनिया में अच्छाई और बुराई दोनों है जिससे आप कभी positive होंगे तो कभी आप को नेगेटिव फीलिंग्स का सामना करना पड़ेगा और उनसे सिख कर उन्हें सुधारने का मौका मिलेगा.
जब हम नेगेटिव इमोशंस को दबाते हैं तब यह अंदर ही अंदर इकट्ठा होती हैं और इनका long-term impact हमारी mental health पर पड़ता है. ये suppressed emotions के रूप में हमारे behavior और relationships पर भी असर डालते है.
इन्हे ignore करना harmful है, क्यू की ये emotions हमारे subconscious mind में रेहते है और कभी-कभी unexpected ways मे express हो जाते है. ये हमारी decision-making ability और overall growth पर असर डालते है.
Toxic positivity से Unrealistic Expectations Create होते है, Long-term टॉक्सिक पॉज़िटिविटी की वजह से anxiety, stress, और depression जैसे mental health issues develop होने के chances बढ़ जाते हैं, पॉज़िटिव रेहने के चक्कर में हम टेंपररी खुशी देने वाली चीज़े जैसे अल्कोहल इत्यादि के एडिक्टिव हो सकते है जो temporary तो खुशी देती है लेकिन आगे जा कर हमारी हेल्थ पर बुरा असर डालती है
अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक जो लोग हर सिचुएशन में खुश रहने का दबाव महसूस करते है वह दूसरों से मदद मांगने में भी हिचकिचाते है, इमोशंस को लेकर यही शर्म उन्हे मानसिक स्वास्थ्य उपचार लेने से भी रोकती है.
टॉक्सिक पॉज़िटिविटी से बचने के तरीक :
1)सबसे पहले अपने इमोशंस को एग्नोर करने से बचे और उन्हे मैनेज करे उन्हे समझकर, जब आप अपने नेगेटिव इमोशंस की जड़ को और अपने स्ट्रेस की वजह को समझ जाएंगे तब आप उनसे अच्छी तरह डील कर सकते है.
2)a)साइकोलॉजिकल स्टडी के मुताबिक दबे हुए emotions की वजह से हमारे बॉडी में तनाव का स्तर बढ़ जाता है.
इमोशनल हेल्थ के लिए ये ज़रूरी है की हम अपने इमोशंस के बारे में खुल कर बात करे नाकी उन्हे दबाकर रखे. किसी भरोसेमंद इंसान से बात शेयर करने से आप को बेहेतर मेहसूस होंगा
b)यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के मुताबिक जर्नलिंग की मदद से यानी लिख कर आप अपने इमोशंस को बेहेतर तरीके से ट्रैक कर पाते है और खुद के लिए हेल्थी सेल्फ टॉक स्पेस भी क्रिएट करते है.
3) वो लोग जो दूसरो को सलाह देते है पॉजिटिव रेहने की लेकिन वो जाने अंजाने में टॉक्सिक पॉजिटिविटी फैलाते है वो लोग दूसरो को उनके इमोशंस के बारे में खुल कर बात करने का मौका दे, और एक अच्छे लिसनर बने.
toxic positivity से बचने के लिए, याद रखे की हर इंसान के अंदर अलग-अलग फीलिंग्स होते है, और उन्हे समझना और एक्सेप्ट करना उनसे डील करना सीखना ज़रूरी है,
इस आर्टिकल मे हम ने toxic positivity के बारे मे बात की, और इसके नुकसान को समझा. नेगेटिव इमोशंस हमारे लिए ज़रूरी है ताकी हम अपनी और दूसरो की मेंटल हेल्थ को बेहेतर तरीके से समझ सके. पॉज़िटिव और नेगेटिव इमोशंस का सही बैलेंस रखते हुए हम एक हेल्थी और सपोर्टिव एनवायरमेंट क्रिएटर कर सकते है.