सूरज का सातवाँ घोड़ा / suraj ka satvan ghoda उपन्यास के बारे में
सूरज का सातवाँ घोड़ा (The Sun’s Seventh Horse) धर्मवीर भारती का एक प्रमुख हिंदी मेटा फिक्शन उपन्यास है, जो 1952 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास में तीन महिलाओं – जमुना, सती और लिली की कहानियाँ प्रस्तुत की गई हैं, जो प्यार और निराशा के बीच उनकी जीवनी का वर्णन करती हैं। यह उपन्यास उन्हें माणिक मुल्ला द्वारा एक पंचतंत्र की शैली में अपने दोस्तों को सुनाया जाता है। माणिक मुल्ला, जो एक पात्र भी है, अपने दोस्तों को सात दोपहरों में ये कहानियाँ सुनाता है
यह कहानी धर्मवीर भारती को एक प्रख्यात उपन्यासकार के रूप में स्थापित करती है, जो “गुनाहों का देवता” (1949) के बाद उनका दूसरा प्रसिद्ध उपन्यास था।
पुस्तक का नाम | सूरज का सातवाँ घोड़ा / suraj ka satvan ghoda |
लेखक | धर्मवीर भारती |
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कुल पृष्ठ | 110 |
फाइल टाइप | |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | उपन्यास |
Pdf साइज़ | 1.12 MB |
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