राग दरबारी / Rag Darbari उपन्यास समीक्षा

श्रीलाल शुक्ल जी द्वारा रचित राग दरबारी राग दरबारी एक सामाजिक उपन्यास है जिसमें आज़ादी के बाद भारतीय शिक्षण व्यवस्था का यथार्थ चित्रण किया गया है. उपन्यास में प्रमुख पात्र वैद्यजी, रंगना, बद्री पहलवान, रुप्पन बाबू, सनीचर, मास्टर खन्ना, प्रिंसिपल आदि शामिल है. उपन्यास की शुरुआत शिवपाल गंज से होती है, रंगनाथ अपना स्वास्थ्य बनाने के लिए अपने मामा वैद्यजी के गांव शिवपाल गंज जा रहा है रंगनाथ इतिहास में एम्.ए किया हुआ है और इतिहास में  शोध कार्य कर रहा एक इमानदार युवक है. शिवपालगंज एक गांव जहां पर रंगनाथ के मामा वैद्यजी रहते हैं, वैद्यजी नाम से ही नहीं थोडा बहुत वैद्य का काम भी कर लेते है. इसलिए उनके गांव में उनके खुद का एक आयुर्वेदिक दवा खाना भी है. वैद्यजी भी आधिकारिक तौर पर स्थानीय कॉलेज के प्रबंधक हैं. साथ ही साथ सी साथ कोऑपरेटिव यूनियन के मैनेजिंग डायरेक्टर भी है. 

शिवपालगंज के राजनीति के पीछे वैद्यजी का बहुत बड़ा हाथ रहता है इसलिए उपन्यास में उनको मास्टरमाइंड कहां गया है. वैद्यजी सिर्फ कॉलेज में ही नहीं गांव के हर एक राजनीतिक क्षेत्र में अपना प्रभाव बना कर रखे हैं उदाहरण ग्राम पंचायत के चुनाव में भी वैद्यजी के लोगों को ही चुनाया जाता है. और उनको ही पद मिलता है. वैद्यजी के दो संतान है. एक बद्री पहलवान जो कुश्ती खेलता है और सिखाता भी है. और दूसरा रुप्पन बाबू जो कई सालो से एक ही कक्षा में पढाई कर रहा है और वो छात्रों का नेता भी है. 

उपन्यास की कथावस्तु गांव की राजनीति से लेकर इंटर कॉलेज के भ्रष्टाचार तक चलता है.

PDF Nameराग दरबारी / Rag Darbari
File Type:PDF
GenresUpanyas / उपन्यास
Total Pages:399
Authorश्रीलाल शुक्ल
Languageहिंदी
PDF Size:3.6 MB

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