“पिंजर” कवयित्री और उपन्यासकार अमृता प्रीतम ने 1950 लिखा हुआ पंजाबी उपन्यास है। पिंजर को भारत और पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि के साथ लिखे गए सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में से एक माना जाता है। इस उपन्यास में एक हिन्दू लड़की की कहानी बताई गई है जिस का नाम पूरो है. एक रशीद नामी आदमी पूरो का अपहरण कर लेता है, जब पूरो रशिद के घर से भाग कर अपने माता-पिता के घर जाती है तब पूरो के माँ-माप उसे अपवित्र कहकर स्वीकार नहीं करते.
दरअसल पूरो के खानदान का और रशीद के खानदान का पुश्तैनी झगड़ा होता है. पुरो शाह खानदान से होती है और रशीद क शेख खानदान से. दो पीढ़ी पहले शाहों ने शेखो की एक बेटी अगवा की थी इसलिए बदला लेनेके लिए पूरो को रशीद अगवा कर लेता है. जब पूरो घर जाने की जिद् करती है तब रशीद उस से कहता है की उस के माता-पिता के लिए वो अनजान हो चुकी है. लेकिन पूरो को अपने माता-पीता पर पूरा भारोसा होता है. पूरो को रशीद के कब्ज़े से भागने का मौका मिलता है और वो भाग जाती है. जब रात को वो अपने घर जाती है तब. उस के पिता उसे घर में घुस ने से मना कर देते है और कहते है की वो अपवित्र हो गई है.
“पिंजर” उपन्यास पर सुप्रसिद्ध निर्देशक “चंद्रप्रकाश द्विवेदी” ने 2003 में फिल्म भी बनाई थी.
पुस्तक का नाम | पिंजर (उपन्यास) |
लेखक | अमृता प्रीतम |
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कुल पृष्ठ | 772 |
फाइल टाइप | |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | उपन्यास |
Pdf साइज़ | 95.8 MB |

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