पंचलाइट कहानी का सारांश / panchlight kahani ka saransh
पंचलाइट फणीश्वरनाथ रेणु जी द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन पर लिखित एक कहानी है. पंचलाइट का अर्थ है पेट्रोमेक्स अर्थात गैस की लालटेन. गाँव में अशिक्षित लोगो की एक टोली है जिसने रामनवमी के मेले से एक पेट्रोमेक्स ख़रीदा. गाँव वाले उसे पंचलैट कहकर बुलाते थे. अब प्रश्न उठता है की पंचलाइट को जलाएंग कौन? गाँव वालो में से किसी को भी पंचलाइट जलाना नहीं आता था. केवल गोधन पंचलाइट जलाना जानता था गुलरी काकी गोधन को बुला कर लाइ और गोधन ने पूंछा की “स्प्रिट” कहा है? स्प्रिट का नाम सुनकर सभी लोग उदास हो गए. लेकिन गोधन ने होशियारी से गरी के तेल की सहायता से ही “पंचलैट” को जला दिया. पंचलाइट के जलते ही सभी लोगो में प्रसन्नता का माहोल छा गया. कीर्तन भजन इत्यादि शुरू हो गया. गोधन ने सब का दिल जीत लिया. इसके बाद पंच लोग गोधन की सारी गलतिया माफ़ कर देते है और उसे पुनः अपने समूह में शामिल कर लेते है.
इस कहानी पंचलाइट के माध्यम से रेणु जी ने ग्राम्य सुधार की प्रेरणा दी है.
पंचलाइट कहानी का उद्देश्य
दोस्तों सारांश और उद्देश्य दोनों अलग अलग है इसलिए परीक्षा में आप दोनों प्रश्नों के उत्तर अलग अलग लिखिए
“पंचलाइट” बिहार के ग्रामीण परिवेश की कहानी है. फणीश्वरनाथ “रेणु” जी स्वयं ग्रामीण परिवेश से संभंधित थे. इसलिए उन्होंने ग्राम्य सुधार की भावना का संचार किया है. “पंचलाइट” जलाने की समस्या और गोधन द्वारा उस समस्या के समाधान के माध्यम से कहानी कार ने साबित कर दिया है की आवश्यकता बड़े से बड़े रूढ़िगत परम्परा को व्यर्थ साबित कर सकती है. ग्रामवासी किस प्रकार एक दुसरे से जाती के आधार पर अलग अलग हो जाते है एव किसी शुभ अवसर पर किसी प्रकार एक दुसरे से मिल जाते है. एव उत्पन्न समस्या का समाधान कर लेते है. इस कहानी में ये अच्छे से समजाया गया है. साथ ही साथ इतने प्रगतिशील देशो के ग्रामीण इलाके कितने पिछड़े हुए है. यह भी दर्शाया गया है.
इस कहानी का मूल उद्देश्य पंचलाइट के माध्यम से ग्रामीण लोगो में एकता की भावना को प्रदर्शित करना है. कहानी के शीर्षक से ही पूरी कहानी का भाव स्पष्ट हो जाता है.
पंचलाइट कहानी की कथावस्तु
“पंचलाइट” फणीश्वरनाथ “रेणु” जी द्वारा लिखित “आंचलिक” कहानी है. जिस में रेणु जी ने ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ आंचलिक परिवेश को अत्यंत सुन्दरता से उभरा है. पंचलाइट कहानी की कथावस्तु ग्राम्य परिवेश से ग्रहण की गई है. इस कहानी की कथा वस्तु में उन्होंने पेट्रोमेक्स जिसे गाँव “पंचलाइट” या “पंचलैट” कहते है के माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण किया है.
ग्रामवासियों के मनोविज्ञान की वास्तविक झलक प्रस्तुत की गई है. ग्रामीण जनजाति के आधार पर लोग किस तरह टोलियो में विभक्त हो जाते है और परस्पर ईर्ष्या और द्वेष के भावों से भरे रहते है. इसका बड़ा ही जिवन्त यथार्थ रूप इस कहानी में उभारा गया है. ग्रामांचल का वास्तविक चित्रण ही इसकी कथावस्तु का उद्देश्य है.