“राष्ट्रपिता बापू” महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

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Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

राष्ट्रपिता बापू

हमारा भारतवर्ष वाकई महान है, इसका महत्व क्षेत्रफल और जनसंख्या के सिवाय, हमारे महान राष्ट्रनिर्माताओं में छिपा हुआ है। इतिहास में राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर, अशोक जैसे प्रेरणा स्त्रोतों ने हमें गर्वित किया है, जबकि आधुनिक काल में तिलक, गोखले, लाला लाजपत राय, महात्मा गाँधी, टैगोर और जवाहर लाल नेहरू ने हमें आदर्श देशभक्ति की शिक्षा दी है।

आधुनिक राष्ट्रनिर्माताओं में, महात्मा गाँधी का स्थान सर्वोपरि है। उन्होंने भारत की असंख्यक भूखे-प्यासे लोगों के लिए अद्वितीय नेतृत्व प्रदान किया। वे जनता के बीच बसे रहे, उनकी भाषा में बातचीत की, और उनकी समस्याओं को समझते रहे। उन्होंने जनता की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया और उनकी पहचान जनता के दिलों में ‘जनार्दन’ के रूप में बस गई। गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

बापू को देश के पहले जननायक के रूप में माना जाता है, जो दरिद्रता के कपड़े पहनकर और एक साधारण झोपड़ी में रहकर भी देश की सेवा करते रहे। उनकी आत्मा में सरलता और निर्भीकता थी, जो आज भी हमें प्रेरित करती है।

बापू ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्य किया, लेकिन वे अपने आत्मविकास के लिए आत्म-समर्पण में लगे रहे। उन्होंने कभी भी झोपड़ी त्यागने का नाम नहीं लिया, किसी पद को स्वीकार नहीं किया, और न कभी कपड़े बदले, न कभी भोजन में बदलाव किया। उन्होंने अपने जीवनभर जनता के साथ संबंध बनाए रखे और उनका साथ नहीं छोड़ा।

उनका जीवन हमारे लिए एक ब्रिज की भाँति है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है। उनका प्रेरणा से भरा जीवन आज भी हमारे हृदयों में चमक रहा है और उनकी आत्मा हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

बापू ने सत्य की महत्वपूर्णता को साबित किया, सत्य के लिए संघर्ष करने और उसके लिए बलिदान करने की शिक्षा दी। उन्होंने हिंसा का विरोध किया और अहिंसा और सत्य के माध्यम से भारत को महत्वपूर्ण जीत प्राप्त कराई। उन्होंने हमें जीवन में हिंसा की अमूर्ति को समझाया। गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

बापू ने भारत को स्वतंत्रता के बाद स्वावलंबन की शिक्षा दी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से स्वावलंबी बनाया। उनका सिद्धांत था कि जो अपनी मदद खुद नहीं कर सकता, उसकी भगवान भी मदद नहीं करते। इस प्रकार, उन्होंने भारतवासियों को आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दी और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया।

बापू ने सामंजस्यपूर्णता की भावना को प्रमोट किया, उन्होंने सिखाया कि हम सभी भगवान के बनाए गए हैं, कोई भी छोटा नहीं है और सभी समान हैं। उन्होंने यह बताया कि अगर हम किसी को छोटा समझकर उसका अपमान करते हैं, तो यह भगवान का अपमान करना हैं। उन्होंने अछूतों के साथ समर्थन और प्रेम का आदान-प्रदान किया, उन्होंने हरिजनों को गले लगाया और उन्हें “हरिजन” कहकर सम्बोधित किया। वे हमेशा अपने अनुयायियों के बीच रहे और उनमें एक नए जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

बापू ने राम-रहीम की एकता के माध्यम से धार्मिक सहिष्णुता का सिद्धांत सिखाया और कहा कि सभी धर्म मूलत: एक हैं। उन्होंने यह बताया कि कोई भी धर्म अनैतिकता, हिंसा या असत्य की शिक्षा नहीं देता है और सभी धर्म समान हैं। बापू की प्रार्थना सभी धर्मों के प्रति समर्पित थी और वह इसे अपने भक्तों के साथ साझा करते थे।

बापू का कहना था, ‘मेरा जीवन, मेरा संदेश है।’ उनका संदेश समझने के लिए, हमें उनके जीवन का अध्ययन करना चाहिए। बापू का जीवन उनके संदेश का प्रामाणिक प्रतिबिम्ब है और हमें भी उनके जीवन के मूल्यों को अपनाना चाहिए। बिना चरित्र बल के कोई राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता, इसलिए हमें बापू के जीवन से सीख लेनी चाहिए।

आइए, बच्चों! आज हम अपने प्रिय राष्ट्रपिता बापू की जीवन-कथा को पढ़ें और उनसे सीखें।

गांधीजी का बचपन

२ अक्टूबर १८६६ ई. को गुजरात के पोरबंदर में गांधीजी का जन्म हुआ था, जिसे सुदामापुरी भी कहा जाता है। यहाँ पर गांधीजी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। पिता को लोग ‘काबा गांधी’ के नाम से भी जानते थे, और गांधीजी का नाम मोहनदास रखा गया था। गुजरात में पुत्र के नाम के साथ पिता का नाम जोड़ने का प्रचलन था, इसलिए गांधीजी अपना पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी लिखते थे।

काठियावाड़ में पिता को ‘बापू’ कहते हैं । जब गाँधीजी बड़े होकर भारत के राष्ट्रपिता बने, तो उन्हें करोड़ों भारतीयों ने आदर और प्रेम से ‘बापू’ कहकर सम्बोधित किया । इसलिये ‘बापू’ ही उनका सर्वप्रिय एवं बहुप्रचलित नाम पड़ गया । गांधीजी का बचपन पोरबंदर में ही बीता था । वहाँ की एक छोटी पाठशाला में इनका भी नाम लिखा दिया गया । वहाँ छोटे बच्चों के साथ मिलकर इन्होंने कुछ पहाड़े सीखे। गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

जब गांधीजी केवल सात वर्ष के थे, तो उनके पिताजी राजकोट चले गए। गांधीजी ने भी राजकोट की देहाती पाठशाला में अपनी पढ़ाई शुरू की। बारह साल की आयु में, उन्होंने दूसरे स्कूल में प्रवेश किया। गांधीजी हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करते थे और उनका मानना था कि छोटे बच्चों को बड़ों की आज्ञा माननी चाहिए। उनका यह भी कहना था कि हमें बड़े-बूढ़ों में दोष नहीं ढूंढ़ना चाहिए। गाँधीजी उन दिनों हाई स्कूल में पढ़ते थे। इनके स्कूल का निरीक्षण करने एक इंसपेक्टर आये। उन्होंने विद्यार्थियों से पाँच शब्द लिखाये | उनमें एक शब्द था ‘ केटल’ (Kettle ) ! उसे इन्होंने गलत लिखा । मास्टर साहब ने इशारा करके आगे के लड़के की स्लेट से देखकर सही लिखने को कहा। लेकिन गाँधीजी ने दूसरे की नकल नहीं की । ऐसे थे दृढ़-साहसी बालक गांधी| गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में PDF

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