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PDF Name | जीवन के १२ नियम / JIVAN KE 12 NIYAM |
File Type: | |
Genres | प्रेरक / Motivational, non-fiction, Self Help |
Total Pages: | 525 |
Author | Jordan Peterson/ जॉर्डन बी. पीटरसन |
Language | हिंदी |
PDF Size: | 4.51 MB |
जीवन के १२ नियम / 12th Rules for Life IN HINDI PDF Download Link
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पुस्तक का विवरण :
इस किताब के दो इतिहास हैं, एक संक्षिप्त और दूसरा विस्तृत | हम अपनी चर्चा की शुरुआत संक्षिप्त इतिहास से करेंगे।
सन 2012 में मैंने कोरा नामक एक वेबसाइट में योगदान देना शुरू किया। कोरा पर कोई भी व्यक्ति, किसी भी तरह का सवाल पूछ सकता है और कोई भी व्यक्ति उसका जवाब भी दे सकता है। पाठकों को जो जवाब पसंद आते हैं, वे उन्हें अपवोट (पक्ष में वोट देना) करते हैं और जो जवाब उन्हें पसंद नहीं आते, उन्हें वे डाउनवोट (विपक्ष में वोट देना) कर देते हैं। इस तरह जो जवाब सबसे उपयोगी होता है, वह जवाबों की सूची में ऊपर उठते हुए उच्चतम स्थान तक पहुँच जाता है, जबकि बाकी के जवाब पिछड़कर ढेर सारे जवाबों की भीड़ में कहीं खो जाते हैं। मैं इस वेबसाइट को लेकर उत्सुक था। इसका हर किसी के लिए मुफ्त होना मुझे अच्छा लगा । इसमें होनेवाली चर्चा अक्सर बड़ी सम्मोहक होती। एक ही सवाल पर आए ढेरों जवाबों में विविध प्रकार के मतों से सामना होना वाकई दिलचस्प था।
जब भी मैं एक ब्रेक लेता (या यूँ कहें कि अपना काम पूरा करने के बजाय टालमटोल करता) तो अपने कंप्यूटर पर कोरा वेबसाइट खोल लेता और ऐसे सवालों की तलाश करने लगता, जिनके जवाब दे सकूँ। आखिरकार मैंने कुछ सवालों के जवाब देना शुरू कर दिया, जैसे ‘खुश रहने और संतुष्ट रहने के बीच क्या फर्क है?’, ‘जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे जीवन की कौन सी चीज़ें बेहतर होती जाती हैं?” और वह क्या है, जो जीवन को और अधिक सार्थक बनाता है?’
Pustak Ka Vivaran:
Is kitaab ke do itihaas hain, ek sankshipt aur doosra vistrit. Hum apni charcha ki shuruaat sankshipt itihaas se karenge.
San 2012 mein maine Kora naamak ek website mein yogdaan dena shuru kiya. Kora par koi bhi vyakti, kisi bhi tarah ka sawaal pooch sakta hai aur koi bhi vyakti uska jawab bhi de sakta hai. Pathakon ko jo jawab pasand aate hain, ve unhein upvote (paksh mein vote dena) karte hain aur jo jawab unhein pasand nahin aate, unhein ve downvote (vipaksh mein vote dena) kar dete hain. Is tarah jo jawab sabse upyogi hota hai, vah jawabon ki soochi mein upar uthate hue ucchitam sthan tak pahunch jata hai, jabki baaki ke jawab picchadkar dher saare jawabon ki bheed mein kahin kho jate hain. Main is website ko lekar utsuk tha. Iska har kisi ke liye muft hona mujhe accha laga. Ismein hone waali charcha aksar badi samohak hoti. Ek hi sawal par aaye dheron jawabon mein vividh prakar ke maton se samna hona vaakai dilchasp tha.
Jab bhi main ek break leta (ya yun kahein ki apna kaam poora karne ke bajay taalmatol karta) to apne computer par Kora website khol leta aur aise sawalon ki talash karna lagta, jinke jawab de sakun. Aakhirkaar maine kuch sawalon ke jawab dena shuru kar diya, jaise ‘khush rahne aur santusht rahne ke beech kya farak hai?’, ‘Jaise-jaise hamari umr badhti hai, vaise-vaise jeevan ki kaun si cheezen behtar hoti jaati hain?’ aur ‘Vah kya hai, jo jeevan ko aur adhik saarthak banata hai?’